प्राचीन भारतीय संस्कृति में सर्पों को देवता की तरह पूजा जाता है और उन्हें आशीर्वाद की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह प्राचीन प्रथा आज भी धार्मिक मान्यताओं के साथ जीवंत है और अनेक लोग सर्प दोष निवारण और शांति के लिए समर्पित काल सर्प दोष पूजा का आयोजन करते हैं। उज्जैन शहर मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है और यहां काल सर्प दोष पूजा का विशेष महत्व है।
काल सर्प दोष क्या है? काल सर्प दोष, जिसे काल सर्प योग भी कहते हैं, ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष दोष माना जाता है जो किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में सर्प ग्रहों के आदेशांकों के साथ जुड़ा होता है। इसका मुख्य प्रभाव व्यक्ति के धन, स्वास्थ्य और व्यावसायिक जीवन पर पड़ता है। इसे निवारण के लिए लोग सर्प दोष पूजा का आयोजन करते हैं जो विशेष तौर पर सर्प देवता को प्रसन्न करने और अनुग्रह को प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाती है। काल सर्प दोष पूजा का महत्व. काल सर्प दोष पूजा का महत्वपूर्ण संबंध ज्योतिष शास्त्र से है, जो माना जाता है कि सर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में अनेक कठिनाईयां और चुनौतियां आती हैं। सर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करने के लिए इस पूजा का आयोजन किया जाता है। इसमें विशेष वेदिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है और विशेष प्राचीन मंत्रों का जाप किया जाता है।
उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा उज्जैन भारतीय संस्कृति और धरोहर का अद्भुत संगम है और यह भारतीय धार्मिकता के एक प्रमुख केंद्रों में से एक है। यहां काल सर्प दोष पूजा को आयोजित करने के लिए विशेष संस्थाएं और पंडित उपलब्ध होते हैं। प्रायः लोग विशेष तिथियों या मुहूर्त पर उज्जैन आकर काल सर्प दोष पूजा करवाते हैं। इस पूजा में विशेष वेदिक रीति-रिवाजों के साथ सर्प देवता को अर्चना और अभिषेक किया जाता है। साथ ही, विशेष मंत्रों का जाप कर सर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति की प्राप्ति की जाती है। काल सर्प दोष पूजा का महत्वपूर्ण उद्देश्य है व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करना और उन्हें शांति और समृद्धि की प्राप्ति करना। यह पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है और विशेष रूप से सर्प देवता के अनुग्रह की प्राप्ति के लिए किया जाता है। उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा एक विशेष धार्मिक आयोजन है जो सर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। इस पूजा में विशेष वेदिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है और सर्प देवता को अर्चना और अभिषेक किया जाता है। यह पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है और सर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करने का एक साधन है।
काल सर्प दोष पूजा एक धार्मिक अनुष्ठान है जो काल सर्प दोष के प्रभावों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह पूजा उज्जैन में कई मंदिरों में की जाती है, लेकिन सबसे प्रसिद्ध पूजा भगवान महाकाल के मंदिर में की जाती है. काल सर्प दोष पूजा में कई तरह के मंत्रों का जाप किया जाता है और कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. पूजा के बाद व्यक्ति को प्रसाद दिया जाता है. माना जाता है कि प्रसाद खाने से व्यक्ति को काल सर्प दोष के प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है. यदि आप काल सर्प दोष से पीड़ित हैं तो आप उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा कर सकते हैं. काल सर्प दोष पूजा एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो आपको काल सर्प दोष के प्रभावों से मुक्ति दिला सकता है. काल सर्प दोष पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. यह अनुष्ठान आपको काल सर्प दोष के प्रभावों से मुक्ति दिला सकता है. यदि आप काल सर्प दोष से पीड़ित हैं तो आप काल सर्प दोष पूजा उज्जैन में कर सकते हैं.
जब किसी जातक की कुंडली सभी गृह राहू और केतू के बीच आ जाते है तब काल सर्प योग (कालसर्प दोष) बनता है, इसलिए इसे राहू केतू दोष भी कहा जाता है। कालसर्प दोष बनने का एक कारण यह भी हो सकता है की आपने अपने पिछले जन्म मे कोई पाप या अपराध किया हो जिसके कारण आपकी कुंडली मे कालसर्प दोष हो। कालसर्प दोष का प्रभाव प्रत्येक राशि पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है। ऐसा माना जाता है की जिस किसी व्यक्ति की कुंडली मे काल सर्प दोष होता है उसे किसी भी काम मे सफलता मिलने मे बहुत समय लगता है।
काल सर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के होते है। व्यक्ति की राशि मे कौनसा दोष है, इस बात का पता व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर ही लगाया जा सकता है।
अनन्त कालसर्प दोष
कुलिक कालसर्प दोष
वासुकि कालसर्प दोष
शेषनाग कालसर्प दोष
शंखपाल कालसर्प दोष
पद्म कालसर्प योग
महापद्म कालसर्प दोष
विषधर कालसर्प दोष
कर्कोटक कालसर्प दोष
शंखचूर्ण कालसर्प दोष
घातक कालसर्प दोष
तक्षक कालसर्प दोष
कालसर्प दोष के बारे मे माना जाता है की अगर जिस भी किसी जातक की कुंडली मे यह दोष आता है तो वह उसकी कुंडली मे 42 वर्षो तक रहता है। और 42 वर्षो तक उस व्यक्ति को संघर्षपूर्ण जीवन यापन करना पड़ता है अगर वह समय से कालसर्प दोष निवारण पूजा न कराये तो जातक को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वैसे तो कालसर्प दोष निवारण के कई उपाय है, किन्तु उनमे समय और थोड़ा परिश्रम लग सकता है और अगर आपकी कुंडली मे कालसर्प दोष है तो आपको यह तो पता ही होगा की आपके द्वारा किया गया कोई काम ठीक से नहीं होता तो इन सब परेशानियों से बचने के लिए और शीघ्र ही सारी परेशानियों से मुक्ति चाहिए तो सबसे सरल उपाय यही रहेगा की आप भगवान महाकाल की उज्जैन नगरी पधार कर कालसर्प दोष निवारण पूजा कराये जिससे आपको सटीक परिणाम मिल सके। आप चाहे तो अभी पंडित जी से बात करके मुफ्त परामर्श ले सकते है।
उज्जैन मे भगवान महाकाल के साथ मंदिर के द्वितीय तल मे नागचंद्रेश्वर महादेव भी स्थित है। वर्ष मे केवल नाग पंचमी के दिन ही इस मंदिर को खोला जाता है। माना जाता है भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार उज्जैन को सभी तीर्थों से तिल भर बड़े होने का गौरव प्राप्त है। इस कारण यहाँ पर की गई कोई भी पूजा निष्फल नहीं होती है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मे मंगल ग्रह लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव मे स्थित हो तो उसे मांगलिक माना जाता है, इसे मंगल दोष भी कहते है। इस दोष के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन मे समस्याये होने लगती है। यह कुंडली मे मंगल ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है की व्यक्ति के जीवन मे समस्या किस प्रकर की एवं कितनी विकट होगी। कुछ ज्योतिष इस दोष को तीनों लग्न अर्थात लग्न के अतिरिक्त चन्द्र लग्न, सूर्य लग्न और शुक्र लग्न से भी देखते है।
किसी भी मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक कुंडली वाले से ही हो ऐसा आवश्यक नहीं है। मंगल लग्न चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव मे विपरीत परिणाम आमतौर पर देता है। इसी कारण मंगल के सामने दूसरी कुंडली मे मंगल इन्ही स्थानो मे हो तो अच्छा माना जाता है, इसे मांगलिक का मांगलिक से मिलान कहते है।
इसके अलावा यदि कुंडली मे मंगल इनमे से किसी एक स्थान पर हो और और दूसरी कुंडली मे मंगल नहीं हो, तो तब शनि या राहू, केतू और सूर्य मे से कोई एक ग्रह इनमे से ही किसी एक स्थान पर हो तो भी उससे मांगलिक कुंडली का मिलान हो सकता है।
कुछ लोगो का यह मानना है की 28 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष दूर हो जाता है किन्तु यह एक भ्रम से ज्यादा और कुछ नहीं है, हाँ 28 वर्ष की आयु के पश्चात मंगल का प्रभाव तो रहेगा किन्तु दुष्प्रभाव जरूर कम हो जाएगा। यदि व्यक्ति की कुंडली मे मंगल दोष है, तो मंगल 28 वर्ष तक विवाह नहीं होने देता है किन्तु यदि उसमे कुछ शुभता है, तो वह 24 वें वर्ष मे ही विवाह करवा देता है।
जिस किसी भी व्यक्ति की कुंडली मांगलिक और मंगल दोषदयी हो तो उस व्यक्ति यह निम्न उपाय करने चाहिए जिससे की मंगल दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके।
1. मांगलिक कुंडली वाले व्यक्ति को मंगलवार का व्रत करना चाहिए, व्रत वाले दिन नमक का सेवन न करे, शाम के समय कुंकुंम का त्रिकोण थाली मे बनाकर उसे लाल चन्दन, लाल पुष्प, धूप दीप और नैवेद्य समर्पित करे इसके बाद रोटी, घी और गुड़ का सेवन करे।
2. अं अंगकराय नमः का जाप हर मंगलवार के करे।
3. यदि कुंडली मे मंगल दोष प्रबल है तो मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करे , पूर्वाभिमुख बैठकर पंचमुखी दीप प्रज्वलित कर अपने इष्ट का एवं मंगल ग्रह का पूजन करने के पश्चात जाप करे ।
रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचंडिके ! हारिके विपदां राशे हर्षमंगलकारिके !!
हर्ष मंगलदक्षे च हर्ष मंगलदायिके ! शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचंडिके !!
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले ! सदा मंगलदे देवि सर्वेषां मंगलालये !!
वैसे तो मंगल दोष निवारण के कई उपाय है, किन्तु उनमे समय और थोड़ा परिश्रम लग सकता है और अगर आपकी कुंडली मे मंगल दोष है, तो आपके विवाह मे बहुत सारी समस्याए आ रही होंगी, शीघ्र ही सारी परेशानियों से मुक्ति चाहिए तो सबसे सरल उपाय यही रहेगा की आप भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन पधारकर मंगल दोष निवारण पूजा कराये जिससे आपको सटीक परिणाम मिल सके। आप चाहे तो अभी पंडित जी से बात करके मुफ्त परामर्श ले सकते है।
ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख मिलता है। शिवपुराण तथा अन्य ग्रंथो मे भी इस मंत्र की महिमा का उल्लेख मिलता है। मृत्यु पर विजय पाने वाले को संस्कृत मे महामृत्युंजय कहा जाता है। इसी कारण भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत ही शुभ माना गया है। इस मंत्र के जाप से जीवन मे सकारात्मक्ता तो आती ही है, और साथ ही आयु भी लंबी होती है।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से बहुत से फायदे होते है –
अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा पाने के लिए इस मंत्र का 1100 बार जप किया जाता है।
वांछित फल की प्राप्ति के लिए साधक को पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
किसी रोग से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का 11000 बार जप करना चाहिए।
किसी कार्य मे सफलता, पुत्र प्राप्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार जाप करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मंगल दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष सहित कई दोषो का नाश भी होता है।
महामृत्युंजय जाप भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला मंत्र है। उज्जैन मे यह पूजा मंत्रो के जाप की संख्या पर निर्भर करता है।
11000 मंत्रो के जाप के लिए 8 पंडितो की आवश्यकता होती है।
21000 मंत्रो के जाप के लिए 10 पंडितो की आवश्यकता होती है।
31000 मंत्रो के जाप के लिए 20 पंडितो की आवश्यकता होती है।
51000 मंत्रो के जाप के लिए 35 पंडितो की आवश्यकता होती है।
1250000 मंत्रो के जाप के लिए 45 पंडितो की आवश्यकता होती है।
मंत्रो के जाप के अनुसार अलग अलग फल की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप मे कितना खर्च आता है? यह कई बातों पर निर्भर करता है जैसे आपको कितने ब्राह्मणो से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करवाना है और आपको कितनी बार महामृत्युंजय मंत्र जाप कराना है उसके अनुसार पंडित जी आपको खर्च बता सकते है और दान दक्षिणा सामग्री का भी इसमे खर्चा होता है इसलिए अगर आपको उज्जैन मे महामृत्युंजय जाप पूजा करानी है, तो आप पंडित रोहित जी से इस नंबर 9981523849 पर कॉल करके परामर्श ले सकते है।
रुद्राभिषेक दो शब्दो से मिलकर बना है, रुद्र और अभिषेक। रुद्र शब्द भगवान शिव के रुद्र अवतार को दर्शाता है, और अभिषेक का अर्थ है स्नान। यह पूजा भगवान शिव को उनके रुद्र रूप में सम्मान देने के लिए की जाती है, इस पूजा मे शिवलिंग को नियमित रूप से जल से स्नान कराया जाता है, रुद्राभिषेक पूजा शिवलिंग का 11 वस्तुओं से अभिषेक करने और भगवान शिव के 108 नामों का जाप करने के द्वारा की जाती है। इसे रुद्रसूख के नाम से जाना जाता है।
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रुद्र रूप मे विराजमान भगवान शिव हमारे समस्त प्रकार के दु;खो को शीघ्र ही समाप्त कर देते है। रुद्राभिषेक करने से समस्त प्रकार के कष्टो से मुक्ति मिल जाती है। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है, हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।
हिन्दू धर्म मे अभिषेक एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, अभिषेक के द्वारा किसी भी देवी देवता को प्रसन्न किया जा सकता है, सभी देवी देवताओ मे भगवान शिव ही सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता है और रुद्राभिषेक मे भागवन शिव के रुद्र अवतार की पूजा और अभिषेक किया जाता है। भगवान शिव को रुद्राभिषेक की मदद से जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है, और अपने सारे दुखो और कष्टो को नष्ट किया जा सकता है।
रुद्राभिषेक को मुख्यतः तीन भागो मे विभाजित किया गया है,
लघु रुद्राभिषेक जिसे नमक चमक रुद्राभिषेक के नाम से भी जाना जाता है।
अति रुद्राभिषेक
महा रुद्राभिषेक
शिव पुराण के अनुसार रुद्राभिषेक को कई प्रकार से किया जाता है, शिव पुराण मे यह भी बताया गया है की अलग अलग पदार्थो से रुद्राभिषेक करने से अलग अलग फल की प्राप्ति होती है, रुद्राभिषेक मुख्यतः 6 प्रकार से किया जाता है।
जल अभिषेक/जलाभिषेक
शहद अभिषेक
घी अभिषेक
दुग्धाभिषेक
दही अभिषेक
पंचामृत अभिषेक
रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित है और इसके बहुत से लाभ होते है जिनमे से कुछ निम्न है,
रुद्राभिषेक पूजा करने से नौकरी और व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
रुद्राभिषेक अनुष्ठान आपको आपके करियर में अच्छा प्रदर्शन करने में भी मदद कर सकता है।
रुद्राभिषेक करके व्यक्ति निरोगी और स्वस्थ हो जाता है।
रुद्राभिषेक पूजा के द्वारा नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
जब अनुष्ठान के दौरान श्री रुद्रम का पाठ किया जाता है, तो इसमें उन 346 चीजों की सूची होती है जो लोग चाहते हैं। और आप उन्हें हर दिन शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए कर सकते हैं।
वास्तु दोष प्रमुख रूप से उस घर मे या कही भी जहा आप रहते है वहा नकारात्मक ऊर्जा के बढ़ने से तथा सकारात्मक ऊर्जा के कम होने से होता है। कई लोग इसे अंधविश्वास से जोड़ते है किन्तु ऐसा नहीं है, वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर मे वास्तु दोष हो, तो परिवार पर लगातार मुसीबत, व्यवसाय मे लगातार हानि, रोजगार मे समस्या आदि का सामना करना पड़ता है। घर मे शांति न होना, छोटी छोटी बातो पर घर मे झगड़े होना, आपसी मतभेद बढ़ना, मस्तिष्क मे नकारात्मक विचारो मे वृद्धि होना आदि वास्तु दोष के लक्षण है।
वास्तु शांति पूजा एक अनुष्ठान या यज्ञ है, जो हिन्दू मान्यताओ के अनुसार वास्तु के देवी-देवताओ को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। जिससे वास्तु दोष को दूर किया जाता है। इस यज्ञ का प्रमुख उद्देश्य जहा अनुष्ठान हो रहा है, उस स्थान या घर को शुद्ध करना, नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर पूरे वातावरण मे सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। आपके जीवन मे वास्तु से संबन्धित जो भी समस्याए हो इस यज्ञ से समाप्त हो जाती है और जीवन मे एक अलग प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसके द्वारा आप सफलता की नई ऊचाइयों पर पहुँच पाते है। यह एक आध्यात्मिक एवं धार्मिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अपने नए घर या कार्यालय के लिए पंचतत्वों का (पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, गगन तथा भूमि) का आशीर्वाद प्राप्त करते है, ताकि घर या ऑफिस मे शुभ ऊर्जा बनी रहे।
वास्तु शांति पूजा से घर या कार्यालय मे आ रही बाधाओ को दूर किया जाता है।
घर या कार्यालय को प्राकृतिक या अप्राकृतिक घटनाओ से बचाती है।
वास्तु दोष निवारण के लिए।
सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाकर नकारात्मक या अशुभ ऊर्जा को समाप्त करना।
घर मे सुख शांति एवं समृद्धि के लिए।
घर या कार्यालय मे स्थित किसी अशुभ ऊर्जा को शांत करना।
मानसिक शांति मे वृद्धि।
वास्तु शांति पूजा, जिसे वास्तु दोष निवारण पूजा के रूप में भी जाना जाता है, पर्यावरण में मौजूद सभी बाधाओं या नकारात्मकताओं को दूर करके और अप्रत्याशित विनाश और दुर्भाग्य को रोककर अंततः किसी स्थान के वास्तु में सुधार करके दोनों के बीच एक अद्भुत संतुलन लाती है। उज्जैन मे वास्तु शांति पुजा ₹6500 से शुरू होती है
नौ ग्रहो का आशीर्वाद पाने के लिए नवग्रह शांति पूजा की जाती है। नवग्रह शांति पूजा करने से जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। नवग्रहों का हमारे जीवन मे बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, क्योकि यह सभी नवग्रह मनुष्य का भाग्य तय करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। सभी ग्रहो का अपना अपना महत्व होता है, यह सभी ग्रह फलदायक होते है, इसलिए नवग्रह शांति पूजा की जाती है। जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए घर पर नवग्रह शांति पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
नवग्रह शांति पूजा से निम्नलिखित फायदे होते है :-
नवग्रह शांति पूजा करने से जीवन से नकारात्मकता पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है।
व्यवसाय, शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र मे उन्नति होती है।
नवग्रह शांति पूजा करने से विवाह मे आ रही सभी प्रकार की समस्याए स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
परिवार में अच्छे संबंध हो और घर मे क्लेश न हो उसके लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी हैं।
यदि घर का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार हो तो, पूजा करने से उसके स्वास्थ मे शीघ्र ही सुधार होता है।
ऊँ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।
इस मंत्र के जाप के लिए सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद साफ वस्त्र पहनकर नवग्रहों की पूजा करे। नवग्रह की मूर्ति के आगे आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला से 5 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल जल्दी प्राप्त होता है।
नवग्रह शांति दोष पूजा के लिए वैसे तो बहुत सारी विधियाँ है, इनमे सबसे प्रसिद्ध वैदिक मंत्रो से की जाने वाली पूजा है। नवग्रह के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नौ ग्रहो को उनके मंत्रो द्वारा शांत किया जाता है। ध्यान रहे नवग्रह शांति दोष पूजा किसी विद्वान पंडितजी द्वारा ही की जानी चाहिए। अनुभवहीन पंडित से पूजा करवाने से आपको का शुभ फल प्राप्त न होकर अशुभ फल भी मिल सकता है।